छत्तीसगढ     बस्‍तर     कुहारपाड़ा


इकाइयों के ऐसे भौगोलिक जमाव (नगर/शहर/कुछ सटे गांव और उनसे लगते हुए क्षेत्र) को क्लस्टर (जमघट) कहते हैं, जो लगभग एक ही तरह के उत्पाद तैयार करते हैं तथा जिन्हें समान अवसरों और खतरों का सामना करना पड़ता है| हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को तैयार करने वाली पारिवारिक इकाइयों के भौगोलिक जमाव (जो अधिकांशतः गांवों/कस्बों में पाया जाता है) को आर्टिशन क्लस्टर कहते हैं| किसी क्लस्टर विशेष में, ऐसे उत्पादक प्रायः किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पीढियों से इन उत्पादों को तैयार करने के कार्य में लगे होते हैं| दरअसल, कई आर्टिशन क्लस्टर (शिल्पी जमघट) सदियों पुराने हैं|

 

कुहारपाड़ा कल्स्टर के बारे में:-

 

कुहारपाड़ा कलस्‍टर छत्तीसगढ़ राज्‍य में बस्तर जिला के अर्न्‍तगत आता है|

 

कुहारपाड़ा कल्‍स्‍टर 1000 से अधिक कलाकारों तथा 90 एसएचजी आकार सहित सशक्‍त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्‍त कर रहा है|

 

धातु शिल्:-

 

धातु तार जड़ाई कार्य, तारकशी आरंभिक रूप से उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में प्रारंभ हुई. यह नवाबों के आश्रय में फलीभूत हुई. आरंभ में इसे खड़ाऊं (लकड़ी सैंडिलों) के लिए प्रयोग किया जाता है|

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामगी के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. जीव-वनस्‍पतियों को चित्रित करते हुए तथा जालियों के विभिन्‍न रूपों सहित डिजाइन पारंपरिक होते हैं. हाथी दॉंत पर प्रतिबंध के साथ ही जड़ाई सामग्री के रूप में प्‍लास्टिक शीट का प्रयोग आरंभ हुआ. मैनपुरी परंपरा में जड़ाई से पूर्व तॉंबे, पीतल तथा चॉंदी की तारों को परस्‍पर गूंथकर हथौड़ों से कूटाई कर समतल किया जाता था. यह जड़ाई की गई सतह पर तीन रंगों के डिजाइन दृश्‍य प्रदान करती थी|

 

कच्ची सामग्री:-

 

मूल सामग्री:- आबनूस लकड़ी, शीशम लकड़ी|


सज्जा सामग्री:- पीतल तार, तॉंबे की तार, हाथी दॉंत, प्‍लास्टिक, हाथ आरी, चमकी, छैनी, लकड़ी का मोगरा, रेती|

 

प्रक्रिया:-

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामगी के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. लकड़ी को बड़े टुकड़े में से वांछित आकार में काटने के पश्‍चात् मूल रूप से कागज पर ट्रेस किए गए नमूने को लकड़ी पर उतार लिया जाता है. तॉंबे या पीतल धातु की शीटों को पतला होने तक पिटाई की जाती है और तारों के रूप में काट लिया जाता है. लकड़ी की सतह पर ट्रेस किए गए डिजाईन को हथौड़े एवं छैनी, जिसे हल्‍के ढंग से पकड़ा जाता है और मुगरे से थपकी दी जाती है, से खुदाई की जाती है. डिजाइन के उत्‍कीर्ण भाग पर पीतल एवं तॉंबे की तारें ठोक दी जाती हैं. यदि हाथी दॉंत की जड़ाई की जानी है, तो हाथी दॉंत को वांछित आकार एवं आकृति में काटकर डिजाईन में अपेक्षित स्‍थानों पर गोंद की सहायता से चिपकाया जाता है. तॉंबे की तार या हाथी दॉंत से जड़ाई के पश्‍चात् रेती की सहायता से कोमल किया जाता है तथा अच्‍छी चमक के लिए पॉलिश की जाती है|

 

तकनीकियाँ:-

 

1. जड़ाई
2. काटना
3. कोमल करना.
4. पॉलिश किया गया

 

कैसे पहुचे :-

 

वायुमार्ग द्वारा:-

 

छत्तीसगढ़ में घरेलु विमानपत्तन है जो लगभग देश के सभी विमानपत्तनों से जुड़ा हुआ है. इंडियन एयरलाइंस रायपुर से आने-जाने के लिए उड़ानें संचालित करती हैं|

 

सडक के द्रारा:-

 

छत्तीसगढ़ में सड़कों का जाल उत्तम है. राष्‍ट्रीय राजमार्ग 6, 16 तथा 43 छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों एवं कस्‍बों को देश के अन्‍य भागों से जोड़ते हैं|

 

रेलमार्ग द्वारा:-

 

छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख रेलवे स्‍टेशन- रायपुर तथा बिलासपुर- भारत के प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों से जोड़ते हैं. चूँकि रायपुर मुम्‍बई तथा हावड़ा, जो क्रमश: पश्चिमी एवं पूर्वी भारत के अति महत्‍वपूर्ण स्‍टेशन हैं, के लगभग मध्‍य में स्थित है, यहां पर महत्‍वपूर्ण रेलों की सुविधा नियमित रूप से उपलब्‍ध है|  

 

 








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