झारखण्‍ड     रॉंची     रातू ब्लाक


इकाइयों के ऐसे भौगोलिक जमाव (नगर/शहर/कुछ सटे गांव और उनसे लगते हुए क्षेत्र) को क्लस्टर (जमघट) कहते हैं, जो लगभग एक ही तरह के उत्पाद तैयार करते हैं तथा जिन्हें समान अवसरों और खतरों का सामना करना पड़ता है| हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को तैयार करने वाली पारिवारिक इकाइयों के भौगोलिक जमाव (जो अधिकांशतः गांवों/कस्बों में पाया जाता है) को आर्टिशन क्लस्टर कहते हैं| किसी क्लस्टर विशेष में, ऐसे उत्पादक प्रायः किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पीढियों से इन उत्पादों को तैयार करने के कार्य में लगे होते हैं| दरअसल, कई आर्टिशन क्लस्टर (शिल्पी जमघट) सदियों पुराने हैं|

राटू खण्‍ड समूह के बारे में:-

राटू खण्‍ड समूह झारखण्‍ड  राज्‍य में रॉंची जिला के अर्न्‍तगत आता है.

राटू खण्‍ड समूह 54 से अधिक कलाकारों तथा 3 एसएचजी आकार सहित सशक्‍त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्‍त कर रहा है.

पत्‍थर नक्‍काशी:-

पत्‍थर में नक्‍काशी होयसाल, कर्नाटक में एक छोटा कस्‍बा, में सदियों से हस्‍तांतरित होती रही है. विशिष्‍ट तकनीक में वर्षों से पत्‍थर पर चोट मारने पर उसके द्वारा उत्‍पन्‍न ध्‍वनि के आधार पर चिह्नित करने में दक्षता हासिल हो गई है. विभिन्‍न प्रयोग मूर्त्तिकार को यह भी स्‍पष्‍ट करते हैं जहां वह 'नर पत्‍थरों' को देवों की प्रतिमाएं तथा 'मादा पत्‍थरों' को देवीयों की प्रतिमा बनाने तथा तटस्‍थ पत्‍थर को मूर्त्ति वस्‍तुएं बनाना सीखता है. ध्‍यानश्‍लोक में वर्णित अनुपात, मुद्राओं तथा अलंकरण से संबंधित नियमों का अनुपालन किया जाता है. प्रस्‍तावित चित्र का अनुरेख काटे जाने वाले कच्‍चे पत्‍थर पर बनाया जाता है जिसे अनुपातों में काटना होता है. स्टील छड़ों, मुगदरों, विभिन्‍न आकार की छैनियों तथा रेती की सहायता से खुरदरे पत्‍थर को अंतिम रूप में ढाला जाता है जिसे तब रेगमार से कोमल किया जाता है और नारियल तेल लगाया जाता है.

पत्‍थर नक्‍काशी की कच्‍ची सामग्री :-

मौलिक सामग्री: सज्‍जर पत्‍थर, हरा गोमेद, मोमेद आक्‍साइड.

मौलिक सामग्री: श्‍वेत मार्बल, बालू पत्‍थर, रंग, रेती, आरी, छैनी, पॉलिश, हथौड़ी.

मौलिक सामग्री: हरा पत्‍थर, मुलतनी मिट्टी, पत्‍थर पटिया, तेल, कपड़ा.

सजावटी सामग्री: दर्पण, चमकीले चमकीले पत्ते, बालुपत्‍थर.

रंगाई सामग्री: जल रंग.

मौलिक सामग्री: सोप सटोन, बालू पत्‍थर, कठोर पत्‍थर, ग्रेनाईट, लाल पत्‍थर.

मौलिक सामग्री: विभिन्‍न प्रकार के पत्‍थर, रेती, आरी, छैनी, पॉलिश, हथौड़ी.

रंगाई सामग्री: काला, गुलाबी, भूरा रंग.

मौलिक सामग्री: पत्‍थर, छैनी, हथौड़ी.

मौलिक सामग्री: पत्‍थर, रंग, पॉलिश, रेगमार रेती, आरी, छैनी, हथौड़ी.

पत्‍थर नक्‍काशी की प्रक्रिया:-

शिल्‍प शास्‍त्र या प्रबंध मूर्त्तिकला के मापन एवं तकनीकों, पत्‍थर के गुण, इसकी परिपक्‍वता, संरचना, रंग और अन्‍य का वर्णन करता है. मूर्त्तिकार द्वारा प्रयुक्‍त पत्‍थर कठोर होता है ताकि यह सुगमता से इसकी आकृति नहीं खो सके या या अनपेक्षित खप्‍पची नहीं बनें. पत्‍थर पर कोई धब्‍बा या कलंक, रेखा या बिंदु नहीं होना चाहिए. मूर्त्तिकार द्वारा प्रयुक्‍त उपकरण नरम लौह से निर्मित होते हैं. उपकरण के प्रकम्‍पन से पत्‍थर को चटखने से बचाव करने के लिए, चित्र को सदैव पत्‍थर को भूमि पर समतल लेटा कर नक्‍काशी की जाती है चाहे मुद्रा बैठे हुए हो खड़े हुए. चित्र नक्काशी करने के पश्‍चात् एक समारोह आयोजित किया जाता है जिसे नयनमिलन कहा जाता है और चित्र को ऑंखें, जीवन तथा श्‍वसन प्राप्‍त होता है और जीवंत शक्ति बन जाती है. तब इसे समारोहपूर्वक गर्भगृह या मंदिर के अंदर प्रतिष्ठित किया जाता है.

पत्‍थर नक्‍काशी की तकनीक:-

पत्‍थर के गुण, इसकी परिपक्‍वता, संरचना, रंग और अन्‍य का वर्णन करता है. मूर्त्तिकार द्वारा प्रयुक्‍त पत्‍थर कठोर होता है ताकि यह सुगमता से इसकी आकृति नहीं खो सके या या अनपेक्षित खप्‍पची नहीं बनें. पत्‍थर पर कोई धब्‍बा या कलंक, रेखा या बिंदु नहीं होना चाहिए. मूर्त्तिकार द्वारा प्रयुक्‍त उपकरण नरम लौह से निर्मित होते हैं. उपकरण के प्रकम्‍पन से पत्‍थर को चटखने से बचाव करने के लिए, चित्र को सदैव पत्‍थर को भूमि पर समतल लेटा कर नक्‍काशी की जाती है चाहे मुद्रा बैठे हुए हो खड़े हुए.

कैसे पहुंचे:-

रॉंची रेलस्‍थल समस्त देश के प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है. निकटतम स्‍टेशन हाटिया एक सात्रिक स्‍टेशन है और अनेक एक्‍सप्रैस ट्रेनें हटिया से आरंभ होकर रॉंची में रूकती हैं. रॉंची झारखण्‍ड में अनेक शहरों से राज्‍य परिवहन निगम की बसों द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है. शहर बोकारो(110 कि.मी.), चाईबासा(130 कि.मी.), धनबाद(170 कि.मी.), पटना(340 कि.मी.) एवं जमशेदपुर (117 कि.मी.) रॉची से अच्‍छी प्रकार जुड़े हुए हैं.कोलकात्ता से रॉंची तक पर्यटन बस सेवाएं 1200रू. में उपलब्‍ध हैं. रॉंची पटना, दिल्‍ली एवं कलकत्ता सहित भारत में सभी विमानपत्तनों के साथ अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है. रॉंची विमानपत्तन हीनू में, शहर के मध्‍य से लगभग 7 कि.मी. दूरी पर स्थित है. कोलकात्ता निकटतम अंतर्राष्‍ट्रीय विमानपत्तन है, जो भारत तथा विदेशों में अनेक शहरों से जुड़ा हुआ है. कोलकात्ता रॉची से लगभग 400 कि.मी दूरी पर है तथा कोलकात्ता से रॉची तक पूर्व भुगतान टैक्‍सी का लगभग 7500रू.शुल्‍क लगता है.








झारखण्‍ड     रॉंची     पीपल एसोसिएशन फॉर टोटल हेल्‍प एंड यूथ अप्लाज