छत्तीसगढ     बस्‍तर     काकरवाड़ा


इकाइयों के ऐसे भौगोलिक जमाव (नगर/शहर/कुछ सटे गांव और उनसे लगते हुए क्षेत्र) को क्लस्टर (जमघट) कहते हैं, जो लगभग एक ही तरह के उत्पाद तैयार करते हैं तथा जिन्हें समान अवसरों और खतरों का सामना करना पड़ता है| हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को तैयार करने वाली पारिवारिक इकाइयों के भौगोलिक जमाव (जो अधिकांशतः गांवों/कस्बों में पाया जाता है) को आर्टिशन क्लस्टर कहते हैं| किसी क्लस्टर विशेष में, ऐसे उत्पादक प्रायः किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पीढियों से इन उत्पादों को तैयार करने के कार्य में लगे होते हैं| दरअसल, कई आर्टिशन क्लस्टर (शिल्पी जमघट) सदियों पुराने हैं|

 

काकरवाड़ा कल्स्टर के बारे में:-

 

काकरवाड़ा कलस्‍टर छत्तीसगढ़ राज्‍य में बस्तर जिला के अर्न्‍तगत आता है|

 

काकरवाड़ा कल्‍स्‍टर 237 से अधिक कलाकारों तथा 20 एसएचजी आकार सहित सशक्‍त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्‍त कर रहा है|

 

धातु शिल्:-

 

छत्तीसगढ़ दुनिया का सबसे बड़ा  तॉंबे और पीतल का उत्पादक है| इसके बनाये हुए उत्पादन दुनिया के चारों कोनो में फैले हुए हैं| सबसे पहले पीतल और तॉंबे की शीट को कम्पास द्वारा चिन्हित किया जाता है,और उसके बाद कैंची द्वारा टुकड़े-टुकड़े कटा जाता है जिसे कटारी कहते हैं.इच्छित आकृति पाने के लिए उसे पिघला कर हाथोड़े द्वारा पीट-पीट खराद बनाया जाता है. और आखिरी में उत्पादन की अंतिम पॉलिश खराद पर ही की जाती है.

धातु तार जड़ाई कार्य, तारकशी आरंभिक रूप से उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में प्रारंभ हुई. यह नवाबों के आश्रय में फलीभूत हुई. आरंभ में इसे खड़ाऊं (लकड़ी सैंडिलों) के लिए प्रयोग किया जाता है|

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामगी के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. जीव-वनस्‍पतियों को चित्रित करते हुए तथा जालियों के विभिन्‍न रूपों सहित डिजाइन पारंपरिक होते हैं. हाथी दॉंत पर प्रतिबंध के साथ ही जड़ाई सामग्री के रूप में प्‍लास्टिक शीट का प्रयोग आरंभ हुआ. मैनपुरी परंपरा में जड़ाई से पूर्व तॉंबे, पीतल तथा चॉंदी की तारों को परस्‍पर गूंथकर हथौड़ों से कूटाई कर समतल किया जाता था. यह जड़ाई की गई सतह पर तीन रंगों के डिजाइन दृश्‍य प्रदान करती थी|

 

कच्ची सामग्री:-

 

भारत में, प्राचीन काल से ही पीतल और तांबे का प्रयोग विभिन्न उपयोगी वस्तुओं को बनाने में किया जाता है| यहां धातु से वस्तुएं बनाने की समृद्ध परंपरा है, जिनका उपयोग धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों ही उद्देश्यों के लिए किया जाता है| ऐसी वस्तुओं के किस्मों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिनमें स्टैंडिंग लैंप, आरती (आनुष्ठानिक दीये), दीप-लक्ष्मी, हैंड लैंप और चेन लैंप (दीयों की लड़ियां) शामिल हैं| वृतीय, षट्भुजीय, अष्टभुजीय और अंडाकार छिछली थालियां व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं और ये कांसे या शीट ब्रास (पीतल के पत्तर) से बनी होती हैं| लोकप्रिय थंजावुर प्लेटों पर देवी-देवताओं, पक्षियों, फूलों और ज्यामितिक आकृतियां बनी होती हैं, जिन्हें तांबे या चांदी के पत्तर को पीछे से पीटकर और फिर, उन्हें ब्रास ट्रे (पीतल की तश्तरी), कुडम या पंचपात्र का स्वरुप प्रदान कर तैयार किया जाता है| धातु से बने खिलौने भी काफी लोकप्रिय हैं और वे प्रदेश के विभिन्न शहरों और नगरों के अनेक गिफ्ट आउटलेटों (उपहार विक्रय केन्द्र) पर बिकते हैं|

 

प्रक्रिया:-

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामगी के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. लकड़ी को बड़े टुकड़े में से वांछित आकार में काटने के पश्‍चात् मूल रूप से कागज पर ट्रेस किए गए नमूने को लकड़ी पर उतार लिया जाता है. तॉंबे या पीतल धातु की शीटों को पतला होने तक पिटाई की जाती है और तारों के रूप में काट लिया जाता है. लकड़ी की सतह पर ट्रेस किए गए डिजाईन को हथौड़े एवं छैनी, जिसे हल्‍के ढंग से पकड़ा जाता है और मुगरे से थपकी दी जाती है, से खुदाई की जाती है. डिजाइन के उत्‍कीर्ण भाग पर पीतल एवं तॉंबे की तारें ठोक दी जाती हैं. यदि हाथी दॉंत की जड़ाई की जानी है, तो हाथी दॉंत को वांछित आकार एवं आकृति में काटकर डिजाईन में अपेक्षित स्‍थानों पर गोंद की सहायता से चिपकाया जाता है. तॉंबे की तार या हाथी दॉंत से जड़ाई के पश्‍चात् रेती की सहायता से कोमल किया जाता है तथा अच्‍छी चमक के लिए पॉलिश की जाती है|

 

तकनीकियाँ:-

 

1. जड़ाई
2. काटना
3. कोमल करना.
4. पॉलिश किया गया

 

कैसे पहुचे :-

 

वायुमार्ग द्वारा:-

 

बस्तर तक पहुँचने के लिए हवाई मार्ग लेने यात्रियों को रायपुर में स्थित राज्य में केवल हवाई अड्डे के लक्ष्य है.

 

सडक के द्रारा:-

 

जगदलपुर  बस्‍तर जिला का जिला-मुख्‍यालय है जो राज्‍य के सभी प्रमुख शहरों एवं कस्‍बों सहित निकटवर्ती राज्‍यों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. यह उत्तर में राज्‍य की राजधानी रायुपर से राष्‍ट्रीय राजमार्ग(NH-49) द्वारा जुड़ा हुआ है प्रत्यक्ष अंतरराज्यीय बस सेवाएं भी जगदलपुर से विशाखापट्टनम, राजह्मुन्दरी , हैदराबाद, विजयवाड़ा, जियोपुर और कोरापुट के लिए उपलब्ध है.

 

रेलमार्ग द्वारा:-

 

जगदलपुर में रेल सेवा की सुविधा सीमित है. कवल एकमात्र रेलवे लाइन जो किनाडुल (दंतेवाड़ा जिला ) से आरंभ होकर विशाखापत्तनम तक जाती है जो जगदलपुर से गुजरती है. यह रेल लाइन ब्रॉड गेज है तथा पूर्णत विद्युतिकृत है. रेल द्वारा जगदलपुर से विशाखापत्तनम तक तय की जाने वाली दूरी लगभग 320 कि.मी. है.

 

 








छत्तीसगढ     बस्‍तर     टीआरआईडब्‍ल्‍युई, संस्‍कार कोचिंग इंस्टिच्युट