इकाइयों के ऐसे भौगोलिक जमाव (नगर/शहर/कुछ सटे गांव और उनसे लगते हुए क्षेत्र) को क्लस्टर (जमघट) कहते हैं, जो लगभग एक ही तरह के उत्पाद तैयार करते हैं तथा जिन्हें समान अवसरों और खतरों का सामना करना पड़ता है| हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को तैयार करने वाली पारिवारिक इकाइयों के भौगोलिक जमाव (जो अधिकांशतः गांवों/कस्बों में पाया जाता है) को आर्टिशन क्लस्टर कहते हैं| किसी क्लस्टर विशेष में, ऐसे उत्पादक प्रायः किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पीढियों से इन उत्पादों को तैयार करने के कार्य में लगे होते हैं| दरअसल, कई आर्टिशन क्लस्टर (शिल्पी जमघट) सदियों पुराने हैं| पोरा भाल्की समूह के बारे में:- पोरा भाल्की समूह झारखण्ड राज्य में पूर्वी सिंहभूम जिला के अर्न्तगत आता है. पोरा भाल्की समूह 200 से अधिक कलाकारों तथा 10 एसएचजी आकार सहित सशक्त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्त कर रहा है. आभूषण:-
स्वर्ण, चाँदी और सम्बद्ध मूल्यवान रत्नों के अत्यधिक मूल्य को देखते हुए हड्डियों और सींगों से निर्मित आभूषण न केवल उत्तरप्रदेश बल्कि विदेश में भी लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। हड्डी आभूषणों के कलाकार भूवेश कुमार कहते हैं, पहले इतनी माँग नहीं थी परंतु अब हमारे पास निर्यात के आदेश हैं और निर्यात आदेशें की माँग पूरा करने के लिए हम अपने स्तर पर बेहतर कार्य कर रहे हैं। इन देशी शिल्पकारों नें हड्डियों की वस्तुओं की किस्में और सहायक सामग्री तैयार करने का कौशल अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त किया है।
राजीव गुप्ता, मुरादाबाद के हड्डी आभूषण निर्यातक कहते हैं, स्वतंत्रता से पहले लोग हड्डियों और सींगों से कंघियां बनाते थे। उस समय कलाकार केवल उत्कीर्ण कार्य करते थे और इस कला की विरासत अगली पीढियों को हस्तांतरित हुई”। हड्डियों की चूडि़यां विभिन्न व्यक्तिगत पसन्द और विकल्पों को पूरा करने के लिए विभिन्न रंगों और विन्यासों की विस्तृत श्रृंखला में आती हैं।
विभिन्न रंगों में उपलब्ध हड्डी आभूषणों की विदेशों में कालेज जाने वालों में माँग बनी रहती है। आभूषणों को विभिन्न रंगों और संयोजनों में रंगा जाता है जो विदेशी भूमि पर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। मनोज, एक हड्डी आभूषण निर्माता कहते हैं, “ पशुओं के सींगों और हड्डियों से निर्मित हमारे रंगीन आभूषणों की श्रृंखला से हमें अच्छा लाभ प्राप्त हुआ। किसी भी प्रकार के आभूषण हम तैयार करते हैं, हम सुगमता से इन्हें विभिन्न रंगतों में रंग देते हैं। विभिन्न रंग संयोजन अन्तर्राष्ट्रीय ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। वे यह आभूषण उनके परिधानों से मेल करने के लिए खरीदते हैं।
कच्ची सामग्री:- आभूषण की चीजो को बनाने के लिए जो बुनियादी सामग्री इस्तेमाल होती है वो है: बुनियादी सामग्री:कोष ,लाख,शंख कोष,लोहे या तांबे की चुडिया,चांदी का ब्रास,बुनियादी धातु,फूलो की डीजाइनवाली आभूषणे, चांदी, पीतल, सोना,खार या नवसागर, कोयला,वेक्स,केरोसीन लेम्प,एल्युमिनियम धातु,लकडॆ के मुडे हुए,हथोडी,हथोडा,छेनी,खुरची,खुरचनी,तार की कैची,लोहे और कांस्य की डाइ कि हुए बेलनाकार मणिका,प्रवाल मोती,सील्क का धागा,मणिका,पोलिश। सजावट की सामग्री:काच की मणिकाए,धातु की मणिकाए और काली मणिकाए। रंग करने की सामग्री:सोडीयम सल्फेट,एल्यु.सोल्ट,सल्फयुरीक एसिड,रंग,ग्लू,वार्निश,तामचीन रंग प्रक्रिया:- अत्यावश्यक खोज आभूषणे बनाने में सामिल चरण की अपेक्सा करती है की :
a) कोम्प्युटर से निकाली हुइ छबी की फोटोग्राफिक नेगेटीव बनाना।
b) फोटॊपोलीमराइजेबल रेजीन से पका नेगेटीव पे रीजीड सबस्ट्रेट के द्रारा मास्क करना।
c) अल्ट्रावायोलेट किरणो से अनमास्क हुए रेजीन को दूर करना।
d) फोटोपोलीमर से अनपोलीमराइजड रेजीन को दूर करना,धोने के पदार्थ जैसे की पानी को इस्तेमाल करके,पदार्थ की पोजीटीव त्री-परीमाणीय समानता मे परिवर्तन करती है,
e) बनती हुइ रेखित रेजीन प्लेट को कन्टेनर मे रखना और टुलिंग रेजीन को कन्टेनर मे रखना जिससे प्लग बनता है जो बनने वाली आभूषण की चीज पे बुरा प्रभाव डालते है।
f) आभूषण की चीज मे टुलिंग रेजीन प्लग दाखिल करते देखना खाली डिब्बा होता है जो प्लग पाके पूरा आभूषण दिखावा बन जाता है।
g) व्यक्तिगत आभूषण चीज बनाने के लिए 'लोस्ट वेक्स" बनाने की प्रक्रिया में प्लास्टीक मोडेल का इस्तेमाल करना
h) पूरे हुए मोल्ड को प्लास्टीक से भरने से आभूषण की चीज का जो बनाना है वह प्लास्टीक मोडेल बनता हे।
तकनीकियाँ:- रेटीक्युलेशन प्रक्रिया है जिससे धातु अपने आप उपर नीचे हो जाए,एक अलग ही संरचना बनाते है।स्टर्लींग सिल्वर और रेटीक्युलेशन सिल्वर को कंइ बार गर्म किया जाता है उसके गलनांक के थोडे नीचे ,उसके बाद ज्यादा गरमी दी जाती है जो अच्छी चांदी को सतह पे खिसकाती और मरोडती है।फ्युजीनगीन की प्रक्रिया में छुती हुइ सतहो को पीगलन्रे देने के द्रारा सोने और चांदी को गरमी से जोडा जाता है।सोल्डर का इस्तेमाल नहि होता।मोक्युमेनीगन जापानी मे मोक्युमी-गाने अर्थात लकडे का अनाज धातु।स्टर्लींग सील्वर और तांबु या स्टर्लींग सील्वर और 22 केरेट सोना के वैकल्पीक स्तर एक दूसरे के साथ जुडे हुए है।सतह को उंची उठा के या रुखानी करके पेटर्न बनाइ जाती है और उसके बाद पेटर्न को प्रकट करने के लिए प्रकट कि जाती है।यादृच्छिक पेटर्न के स्तर मे मजबुत सटर्लींग सिल्वर आधार होता है।दो टुकडे कभी भी पूरी तरह एकसमान नहि होते।टीटेनीयम रंग और टीटेनीयम आक्साइड के आवरण से बनता है जो तब बनाता है जब धातु कोइ खास वोल्टेज पे एनोडाइजड होती है।यह स्तर प्रकाश को अलग अलग तरीके से मोडता है-वो असर जो आंखो को रंगो के इन्द्र-धनुष्य से पहुंचती है।पेटीनेशन का यह समृध्ध रंगीन स्वरुप है।शीबुची अच्छे चांदी और तांबे से बनी हुइ मिश्र धातु है।मिश्रधातु का पहला उपयोग चीन के हान राजवंश के दौरान जाना गया है।कोरू यह डिजाइन पारम्परीक माओरी जो वृध्धि और जीवन का प्रतिक है इससे प्रेरीत है।यह युवा पौधा का वर्णन करता है।यह शांति,समानता और नइ शुरुआत का वर्णन करता है। कैसे पहुँचें: - वायुमार्ग द्वारा:- जमशेदपुर का सोनारी विमानपत्तन वर्तमान में नियमित व्यवसायिक उड़ानें प्रदान नहीं करता है. कुछ वर्ष पहले जमशेदपुर तथा कलकत्ता एवं रॉची के लिए नियमित उड़ानें थी. इसके निकटतम विमानपत्तन रॉची एवं कलकत्ता हैं. सडक के द्रारा:- शहर राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 33 पर है और बिहार, बंगाल और उडि़सा के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. यह सब जमशेदपुर तक पहुँच को अति सुगम बनाता है. रेलमार्ग द्वारा:- जमशेदपुर कलकत्ता एवं रॉची के अति निकट है.कलकत्त-मुम्बई मुख्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन को टाटानगर कहा जाता है. टाटानगर दिल्ली और पुरी रेलसंपर्क के मध्य भी आता है. यह रॉंची को कलकत्ता से जोड़ने वाली रेल लाइन पर भी है.